सबसे पहले भगवत भक्ति की इस अनुपम चर्चा में आप सभी का स्वागत करता हूँ। ऐसे तो अक्सर हम किसी न किसी नए विषय को लेकर, अपनी चर्चा का आरंभ करते हैं, लेकिन आज का जो प्रश्न आया है, वह थोड़ा अलग सा है। एक भक्त ने पूछा है, "सबसे ज्यादा नशा किससे होता है?" प्रश्न थोड़ा अलग सा है और आप ये भी कह सकते हैं, भक्ति विषयक चर्चा में यह विषय क्यों? पर मेरा मनना है, मन में द्वन्द की स्थिति नहीं रहनी चाहिए। आप के मन में अगर कोई प्रश्न है, तो जल्द से जल्द उसका समाधान कर लेना चाहिए। मन में अगर कोई बात रह जाती है, तो धीरे-धीरे वह अपनी पैठ बना लेती है। और फिर उसका समाधान कठिन हो जाता है। तो आइए अब बात करते हैं, आज के प्रश्न पर," नशा : सबसे ज्यादा किसका ? "
ऐसे तो दुनियाँ में बहुतों प्रकार का नशा होता है। लेकिन सबसे ज्यादा नशा किसका होता है, इस पर लोगों की अपनी-अपनी राय हो सकती है। और अगर विज्ञान की बात करें, डॉक्टरों की बात करें तो ये सूचि बड़ी होते जाएगी। लेकिन हमारा मकसद, और शायद प्रश्नकर्ता का भी मकसद इसे विज्ञान की नजरों से देखना नही है। विज्ञान और डॉक्टरों वाली बात, आप आसानी से इंटरनेट आदि पर खोज कर पा सकते हैं। उस पर शोध आदि भी कर सकतें हैं। तो इस बात को हम आप पर छोड़ते हैं। लेकिन एक बात, विज्ञान वाले नशे का प्रयोग स्वयं पर कभी न करें, वार्ना आप के शोध का तो पता नहीं, पर आप किसी गली-चौराहे, नदी-नाले में गिरे-पड़े अवश्य ही मिलेगें। ऐसा शोध कभी न करें जिसमें, आप के खुद के खो जाने का भय हो। आपकी शोध तो जाएगी ही आप भी नहीं मिलेगें। तो संसार में ऐसे बहुत सी चीजें हैं, जिनमें नशा होता है। और डॉक्टर लोग इनका प्रयोग, रोगों का उपचार करने में करते हैं। लेकिन नशा और भी कई कारणों से सकता है, जो कि बहुत ही खतरनाक है। कहतें हैं, नशे में आदमी को कुछ भी पता नहीं रहता। लोग नशे की हालात में अपना-पराया, अच्छे-बुरे सब कुछ भूल जाते हैं। तो ये नशा बहुत ही खतरनाक है, पीड़ादायी है। खाश कर जब आप नशे से बहार निकलते हैं तो, खुद से नजर मिलाने के लायक नहीं रहते। एक तो हुआ नशा, जो कि खाने-पीने से आता है। दूसरा, कभी-कभी बिना खाये-पीये भी लोग नशे में होते हैं। कबीरदास जी ने कहा है,
ऐसे तो दुनियाँ में बहुतों प्रकार का नशा होता है। लेकिन सबसे ज्यादा नशा किसका होता है, इस पर लोगों की अपनी-अपनी राय हो सकती है। और अगर विज्ञान की बात करें, डॉक्टरों की बात करें तो ये सूचि बड़ी होते जाएगी। लेकिन हमारा मकसद, और शायद प्रश्नकर्ता का भी मकसद इसे विज्ञान की नजरों से देखना नही है। विज्ञान और डॉक्टरों वाली बात, आप आसानी से इंटरनेट आदि पर खोज कर पा सकते हैं। उस पर शोध आदि भी कर सकतें हैं। तो इस बात को हम आप पर छोड़ते हैं। लेकिन एक बात, विज्ञान वाले नशे का प्रयोग स्वयं पर कभी न करें, वार्ना आप के शोध का तो पता नहीं, पर आप किसी गली-चौराहे, नदी-नाले में गिरे-पड़े अवश्य ही मिलेगें। ऐसा शोध कभी न करें जिसमें, आप के खुद के खो जाने का भय हो। आपकी शोध तो जाएगी ही आप भी नहीं मिलेगें। तो संसार में ऐसे बहुत सी चीजें हैं, जिनमें नशा होता है। और डॉक्टर लोग इनका प्रयोग, रोगों का उपचार करने में करते हैं। लेकिन नशा और भी कई कारणों से सकता है, जो कि बहुत ही खतरनाक है। कहतें हैं, नशे में आदमी को कुछ भी पता नहीं रहता। लोग नशे की हालात में अपना-पराया, अच्छे-बुरे सब कुछ भूल जाते हैं। तो ये नशा बहुत ही खतरनाक है, पीड़ादायी है। खाश कर जब आप नशे से बहार निकलते हैं तो, खुद से नजर मिलाने के लायक नहीं रहते। एक तो हुआ नशा, जो कि खाने-पीने से आता है। दूसरा, कभी-कभी बिना खाये-पीये भी लोग नशे में होते हैं। कबीरदास जी ने कहा है,
" कनक कनक ते सौ गुणी, मादकता अधिकाय।
एक खाय बौराय नर, एक पाय बौराय॥ "
- "कबीर"
"कनक का एक अर्थ होता है सोना, और दूसरा अर्थ होता है धथूरा ,कबीरदस जी कहते हैं सोने (वाले कनक )में ,धथुरे (वाले कनक) से , सौ गुना ज्यादा नशा होता है, क्योंकि धथुरे को तो खाने के बाद नशा होता है, किन्तु सोने को पाने से ही नशा हो जाता है। " बात बिल्कुल सही भी है, आज हम लोगों को धन-संपत्ति, रुपये-पैसों आदि के नशे में देखते हैं, और ये नशा इतना गहरा होता है कि लोग आजीवन इससे बहार नहीं निकल पाते। खाने-पीने के नशे से तो लोग धंटे दो-चार घंटे में बहार हो जाते हैं, लेकिन धन का जो नशा है, उसका जाना मुश्किल होता है। धन का ये नशा कुछ ऐसा होता है कि लोग अपनों तक को भूल जाते हैं। गाँव-समाज की बात कौन कहे, लोग माता-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नी आदि सभी रिश्तों को दरकिनार कर जाते हैं। ऐसा नहीं की ये धन सदा आप के पास रहने वाला है। कहते हैं लक्ष्मी चंचला होतीं हैं। कभी भी एक जगह नहीं ठहरती, लेकिन फिर भी लोग इसके लिए पागल बने बैठे हैं। धन का आना जाना तो लगा ही रहता है और आगे भी जारी रहेगा, लेकिन उसके लिए ये दीवानगी, कि हम अपने माता-पिता को ही भूल जाएँ, ये सही नहीं।
ये तो रही धन की बात, एक और चीज है, जिसका नशा इस धन से भी ज्यादा होता है। धन तो भौतिक पदार्थ है, इस को प्राप्त करना, संग्रह करना समझ में आता है। लेकिन यह जो नशा है, इसे आप छू नहीं सकते, देख भी नहीं सकते, तिज़ोरी में बंद कर रख नहीं सकते। लेकिन इसका जो नशा होता है, वह अतिसय भयावह होता है। ....
continue ...
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