बुधवार, 21 मार्च 2018

"श्री राम जन्म महोत्सव 2018"

"~~~~~ जय श्री राम ~~~~~"

"सुन्दरकाण्ड ~ पाठ"

 "आमंत्रण ~ पत्र"


"जहाँ भगवान के स्मरण मात्र से सारे संकट खत्म हो जाते हैं, वहाँ जब प्रभु स्वयं प्रकट हों, तो कहना ही क्या! अब वो दिन दूर नहीं जब प्रभु श्रीरामजी, भरतजी, लक्ष्मणजी और शत्रुघ्नजी अयोध्या में प्रकट हुये थे और महीनों आनंदोत्सव मनाया गया था| इसी परम्परा को जारी रखते हुए, भगवान की महती कृपा और प्रेरणा से, हम लोग हर वर्ष "श्रीराम जन्म महोत्सव" मनाते रहें हैं| इस वर्ष इस पावन अवसर पर हम लोग "आचार्य पण्डित श्रीरामजी भारद्वाज" के सानिध्य में सस्वर "सुन्दरकाण्ड~पाठ" का आयोजन करने जा रहे हैं। आप सपरिवार, इसमें सम्मलित हो कर, भगवत-भक्ति का लाभ लें।"
                                 
तिथि - 31-03-2018  (शनिवार) पूर्णिमा "हनुमान जयंती
समय - संध्या 4.00 बजे से 
स्थान - Kosmos Basket-Ball Court, B-38 Park
संपर्क - स्वाति & अमित @ 0120-6663709

विशेष: इसी दिन दोपहर १ बजे से "शिव-मंदिर" प्रांगण में भंडारा का आयोजन किया जायेगा| 

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"भगवान कैसे दिखते हैं"

           आज की भगवत चर्चा में आप लोगों का स्वागत है| एक कथा याद आ रही है| एक गांव में कहीं से एक संत आते हैं| कहीं से आ रहें होगें, शाम होता जान सोचे रात इसी गांव में गुजारते हैं| कुछ आगे चलने पर उन्हें एक छोटा सा घर दिखाई पड़ा| घर के सामने ही घर का स्वामी कुछ काम कर रहा था| संत उसकी ओर चल पड़े|  अपने घर पर एक संत को आता देख वो व्यक्ति श्रद्धा से संत को प्रणाम किया| संत ने अपने मन की बात उसे बताई और रात में उसके घर में रुकने के लिए प्रार्थना की| रात में संत उसके घर में रुकेगें यह सोच वह बहुत ही प्रसन्न हुआ और अपने को परम भाग्यशाली मन संत की सेवा में लग गया| पूरे परिवार के साथ उसने उनकी खूब सेवा की| रात में भोजन कर लेने के बाद वो संत के सामने बैठ गया| संत भी उसके और उसके परिवार के लोगों की सेवा-भक्ति से बहुत खुश हुए| यूँ की कुछ भागवत-चर्चा शुरू हुई| संत ने बहुत सारी कथाएँ कहीं| कथाओं के पूरे होने पर वो व्यक्ति हाथ जोड़ कर बोला, "प्रभु! मन में एक बात की जिज्ञासा है| आपकी आज्ञा हो तो मैं एक बात पूछूं?" संत ने कहा, "हाँ-हाँ पूछो जो भी तुम्हारा प्रश्न है|" वो बोला, "क्या आपने भगवान को देखा है? वो कैसे दिखतें हैं|" संत उस भोले ग्रामीण की बात को सुन कर मुस्कुरा बैठे और बोले "पहले तुम बताओ, तुम्हें क्या लगता है, भगवान कैसे दिखतें होगें?" वो ग्रामीण बहुत ही गरीब था| अपने पूर्वजों से मिले एक छोटे से ज़मीन पर खेती-बाड़ी कर, किसी तरह से घर चला रहा था| दोनों शाम घर में खाना मिल जाये यही उसके लिए बहुत था|  थोड़ी देर सोचने के बाद वो ग्रामीण बोला, ""  
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